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Tuesday 11 August 2015

संस्कृत का पाश्चात्य ज्ञान व साहित्य पे प्रभाव

✅कृपया पढ़े अवश्य

सन 1800 के आस पास  यूरोप में सर्वाधिक चर्चित विषय था-
🔸मेघावी अंग्रेज अब ब्राह्मण होते जा रहे है।

ब्राह्मण(संस्कृत विद्वान)

ऐसे कुछ अंग्रेज थे जिन्होंने हमारे शास्त्रों, हमारे ज्ञान और देवभाषा को आत्मसात किया और अपने देश ले गए, उसे सिखा,सिखाया और अपनाया-
आयुर्वेद (Ayurveda Therapy) हो गया, योग(Yoga) हो गया,बौधायन प्रमेय(पाइथागोरस प्रमेय) हो गया, शून्य हमने दिया मंगल तक ये गए..

कालिदास से उनको प्रेरणा मिली, कणाद से परमाणु का सिद्धांत, महाभारत से बड़ा कोई काव्य नहीं,
ना वेद से पुराने ग्रन्थ...
ना गीता से बड़ा कोई नीति,रीति,राजनीति और प्रबंधन का शास्त्र है..
✅थोड़े से यूरोपियन आये हमारा ज्ञान ले गए उस से वो लाभान्वित हुए,उसेे समझा,जाना,अपनाया उस ज्ञान के खजाने का सदुपयोग किया और आज विकास कर रहे है, जहां रुपया डॉलर को टक्कर देता था वही आज अपने मूल्य को तरस रहा है-

ऐसे कुछ यूरोपियन्स की सूची जो भारतीय प्राच्य विद्या के विशेषज्ञ माने गए--

1⃣दुपरोन( Anquetil Duperron) ये फ्रांस के थे, इन्होंने दाराशिकोह द्वारा फ़ारसी में अनूदित उपनिषदों का लैटिन "औपनिखत(Oupnekhat) नामक अनुवाद किया।

2⃣जोहान फ़िकटे और पॉल दूसान ने वेदांत को सबसे बड़ा सच माना।

3⃣1875 में सर चार्ल्स विलकिन्स ने गीता का इंग्लिश अनुवाद किया।

🔸विलियम जोन्स पेशे से जज थे 1784 में इन्होंने एशियाटिक सोसाइटी बनाई,अभिज्ञानशाकुन्तलम् का अनुवाद और ऋतुसंहार का संपादन किया,1786 में कहा कि-

™संस्कृत परम अद्भुत भाषा है। यह यूनानी से अधिक पूर्ण तथा लातिनी से अधिक सम्पन्न है।

🔸जोन्स ने ही सर्वप्रथम यह कहा था कि-

™गॉथिक और केल्टिक दोनों परिवार की भाषाओं का उद्गम स्तोत्र संस्कृत है।

✳जोन्स फ्रांज बाप,मेक्समूलर  और ग्रीम के आदर्श रहे है, ये तीनों संस्कृत व भारतीय संस्कृति के प्रमुख यूरोपियन जानकार माने जाते है।

🇮🇳संस्कृत के संपर्क से पूर्व यरोपियनों को फोनेटिक्स तथा उच्चारण प्रक्रिया का ज्ञान नहीं था, निरुक्त और अष्टाध्यायी के अध्ययन के बाद यूरोपियन विद्वानों ने इन विषयों पर शोध तथा लिखना प्रारम्भ किया।

4⃣1805 में कोलब्रुक ने वेदों का प्रामाणिक विवरण दिया दर्शन,व्याकरण,ज्योतिष और धर्म शास्त्र पर शोध किया।

5⃣यूजीन बनार्फ़ ये मेक्समूलर के गुरु थे।

6⃣मेक्समूलर ने 30 वर्षों तक सायण भाष्य पर शोध कर वेद भाष्य लिखा।

7⃣गेटे ने शाकुन्तलम् की प्रशंसा में कविता लिखी।

8⃣शीलर ने मेघदूत को आधार बना "मेरिया स्टुअर्ट" नामक कविता लिखी।

9⃣विलियम वर्ड्सवर्थ की कविता "ओड ऑन इन्टीमेशन्स ऑफ़ इमोर्टिलिटी" आत्मा के पुनर्जन्म सिद्धान्त पर आधारित है।

🔟 शैली की कविता एडोनायज( Adonai's) उपनिषदों पर आधारित है।

1⃣1⃣अमरीकी कवि एमसर्न ने "ब्रह्म" तथा जे.जी. व्हिटियर ने "सोम" नामक कविता लिखी है।

1⃣2⃣ आयरलैंड के कवि जार्ज रसेल ने (Over Soul, Krishna,The veils of maya,Om और Indian Song) जैसी शुद्ध भारतीय भाव की कविताये लिखी है।

1⃣3⃣ डब्लू.बी.येट्स ने भी शुद्ध भारतीय पृष्ठभूमि पर आधारित कवितायेँ लिखी है- Anushay and Vijay,The Indian upon God और The Indian to his love.

1⃣4⃣ स्टुअर्ट बेल्क़ि ने "त्रिमूर्ति" नामक कविता लिखी।

जब सम्पूर्ण पाश्चात्य ज्ञान,विज्ञान और साहित्य का आधार भारत और संस्कृत है तो भारत में संस्कृत को ये सम्मान क्यों नहीं...?

ये आंकड़े हमें ये बताने के लिए काफी है की भारतवर्ष और सनातन धर्म इतना गौरवशाली क्यों है...?

🚩हमें हमारे देश,सभ्यता,संस्कृति,संस्कृत और सनातन धर्म पर गर्व करना चाहिए, इसका संरक्षण,पोषण और विकास करना चाहिए।
जिस से भारत का विकास हो,वापस भारत अपने वैभव,गौरव को प्राप्त करे तथा विश्व का नेतृत्व करें।।

जयतु भारतम्🇮🇳
जयतु संस्कृतम्🚩

✅पोस्ट अच्छी लगे तो आगे जरूर बढ़ायें।

🙏🙏
मकरध्वज तिवारी

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