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Thursday 16 July 2015

संस्कृत व्याकरण का इतिहास-1

संस्कृत व्याकरण-

१. वि+आङ्ग+कृ+ल्युट (व्युत्पत्ति)
२. व्याक्रियंते व्युत्पाद्यन्ते शब्दाः अनेन इति व्याकरण:
३. व्याकरण को "शब्दानुशासन" भी कहा जाता है ।
४. स्वर-व्यंजन,संधि-समास,शब्द-धातु,प्रकृति-प्रत्यय व् स्फोट सिद्धांत व्याकरण के प्रमुख विभाग है ।
५. रक्षा,ऊह,आगम,लाघव व संदेहनिवारण इसके पञ्च प्रयोजन है ।
६. वेदांगों में व्याकरण को "मुख" की संज्ञा दी गई है ।
७. व्याकरण के विना व्यक्ति को " अंधे" की संज्ञा दी गई है ।
८ . व्याकरण के महत्त्व को गोपथ ब्राह्मण में स्पष्ट किया गया है-
ओम्कारं पृच्छामः, को धातु:, किं प्रतिपादिकं, किं नामाख्यातं, किं लिंगं,किं वचनं, का विभक्तिः, कः प्रत्ययः, कः स्वरः, उपसर्गोनिपात:, किं वै व्याकरणं...।

९. ऋकतंत्र के अनुसार व्याकरण का प्रवर्तन-
प्रथम वक्ता [ ब्रह्मा ] - बृहस्पति - इंद्र - भारद्वाज- ऋषियों- ब्राह्मणों- समाज

१०. पाणिनि से परवर्ती प्रमुख वैयाकरण-
गार्ग्य,काश्यप,गालव,चाक्रवर्मन् ( ३१०० ईस्वी पूर्व ), आपिशलि,काश्यप,भारद्वाज,शाकटायन ( ३००० ईस्वी पूर्व),सेनक, स्फोटायन ( २९५० ईस्वी पूर्व )

११.  व्याकरण के भेद
छान्दसं ( प्रतिशाख्य )
लौकिक ( कातंत्र [ प्राचीनतम ], चांद्र, जैनेन्द्र, सारस्वत
लौकिक-छान्दस - पाणिनिय व्याकरण
१२. वोपदेव ने " कविकल्पद्रुम " वे संस्कृत व्याकरण के ८ सम्प्रदायों का उल्लेख किया है-

इन्द्रश्चंद्र: काश्कृत्स्नापिश्ली शाकटायन: ।
पाणिन्यमरजैनेंद्रा: ज्यन्त्त्यष्टादि शाब्दिका: ।।

       ● पाणिनीय व्याकरण (नव्य व्याकरण)

१. युधिष्ठिर मीमांसक के अनुसार पाणिनीय व्याकरण शैव संप्रदाय से सम्बंधित है..
२. इसका आधार १४ माहेश्वर सूत्र है ।
३ पुरुषोत्तम देव ने  "त्रिकांड कोष" पे पाणिनि के ६ नाम बताये है-
पाणिनिरत्त्वारहिको दाक्षीपुत्रो शालांकि पाणिनौ ।
शालोत्तरीय....।
४. शालातुरीयको दाक्षीपुत्र: पाणिनिराहिक: (वैजयंती कोष)
५. पाणिनि के पिता का नाम शलंक (दाक्षी) था ।
६. ये शालातुर (लाहौर) के निवासी थे ।
७. राजशेखर के अनुसार इनके गुरु पाटलिपुत्र (पटना) निवासी "वर्षाचार्य" थे ।
८. युधिष्ठिर मीमांसक के अनुसार "कात्यायन" इनके साक्षात शिष्य थे ।
९. पंचतंत्र की एक कथा के अनुसार "त्रयोदशी" के दिन एक शेर द्वारा इनकी हत्या कर दी गई थी, इसलिए इस दिन व्याकरण पाठ निषेध है।
१०. पाणिनि की रचनाये-
√अष्टक(अष्टाध्यायी, शब्दानुशासन)
√ गण पाठ
√ धातुपाठ
√ लिंगानुशासन
√ पाणिनीय शिक्षा
* कुछ विद्वान् "उणादि सूत्रों" को भी इनकी रचना मानते है ।
११. इनकी रचनाओं को व्याकरण का "पंचांग" कहा जाता है, क्योंकी यह व्याकरण के पांच प्रमुख अंग है।
१२.अष्टाध्यायी में कुल ३९९६ सूत्र है जो आठ अध्यायों में विभक्त है ।
१३. #SirHunter- सर हंटर के अनुसार- अष्टाध्यायी मानव मस्तिष्क का सर्वाधिक महत्वपूर्ण आविष्कार है,इसकी वर्ण शुद्धता,धातु अन्वय सिद्धांत व् प्रयोजन विधि अद्वितीय है, वस्तुत: "पाणिनीय व्याकरण" विश्व की सर्वोत्कृष्ट व्याकरण है तथा #पाणिनि वैयाकरण ।
१४.#प्रो_टी_शेरावातास्की - पाणिनिय व्याकरण मानव मस्तिष्क की सर्वोत्तम रचना है.......

क्रमशः
#मकरध्वज

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