यति, हिममानव,नरवानर, Bigfoot】
आइये आज हम जानते है एक ऐसे जीव के बारे में जिसको संसार में कई बार कई जगहों पर देखने का दावा किया गया है जिसको विभिन्न नामों यथा- यति, याति, येति,हिममानव,नरवानर और Bigfoot इत्यादि नामों से जाना जाता है ।
इस रहस्यमय जीव से जुड़ी प्रमुख बातें इस प्रकार है-
1. वैज्ञानिक यह मानते है की 'एलियंस' ने वानर और अपने खुद के जीन से मिलाकर बिगफुट बनाया है। यह मिश्रित जाति का परिणाम है और वे अपने इस बनाए गए जीव को देखने के लिए समय-समय पर आते रहे हैं।
2. अमेरिका के पोकाटेलो में इदाहो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर जेफ मेलड्रम का कहना है कि मैंने इस संबंध में मौजूदा सभी वैज्ञानिक प्रमाणों का अध्ययन किया है और इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि इस सृष्टि में कोई प्राणी ऐसा जरूर है, जिसकी पहचान होना बाकी है।
3.कुछ वैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि दरअसल धरती के असली इंसान तो बिगफुट ही हैं और जहां तक
सवाल आज के आधुनिक इंसान का है तो यह अभी तक रहस्य है कि यह बना कैसे और इसका पूर्वज कौन था? दरअसल, इंसान ही है आकाश से आए उन लोगों की संतान, जो आज 'एलियंस' कहलाते हैं।
4. रामायण से जुड़ी कहानी- नेपाल में यति को राक्षस भी कहा जाता है। कुछ गंथों के मुताबिक कुछ नेपाली और हिमालय की तराई के इलाकों में राम और सीता के बारे में प्रचलित लोक कविताओं और गीतों में भी कई जगह यति का उल्लेख किया गया है।
5. शोधकर्ता कहते हैं कि दुनियाभर में बिगफुट को देखे जाने की घटना तभी खबरों में आई जबकि यूएफओ आने की खबरें भी अखबारों में थीं। कुछ लोगों ने यह भीकहा कि हमने उड़नतश्तरी के पास बिगफुट को देखा है। इसी तरह की एक घटना 1980 में वाशिंगटन के पास घटी जबकि एक महिला ने यूएफओ को धरती पर उतरते देखा और वह जहां उतरा था वहीं हमें गोरिल्ला जैसा आदमी भी दिखाई दिया।
6. बालों की जाँच- 19 मार्च 1954 को अंग्रेजी अखबार ‘डेली मेल’ में एक लेख प्रकाशित हुआ, जिसमें इस मसले पर वैज्ञानिक नजरिए से प्रकाश डाला गया था। असल में वहाँ के प्रोफेसर फ्रेडरिक वुड जोन्स ने यति के बालों के माइक्रोफोटोग्राफ का परीक्षण किया था। उनकी तुलना भालू और दूसरे पहाड़ी जानवरों के बालों से की गई, लेकिन इस निष्कर्ष पर नहीं पहुँचा जा सका कि आखिर ये बाल किसके हैं।
7. सन् 1957 में यति के मल की जाँच भी गई, लेकिन यह साफ नहीं हो सका कि अगर यह अवशिष्ट पदार्थ यति का नहीं है, तो किस जंतु का है? हाल ही में बीबीसी ने यति के बाल एकत्रित किए गए जाने और जाँच के लिए भेजे जाने की खबर प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट में भी पता नहीं चल पाया है कि ये बाल किस पहाड़ी प्राणी के हैं। अब डीएनए विश्लषण किया जा रहा है।
8. खोपड़ी मिली! सन् 1960 में एवरेस्ट के विजेता सर एडमंड हिलेरी को कथित तौर पर हिमालय में यति की खोपड़ी मिली। उन्होंने इसे जाँच के लिए पश्चिमी देशों में भेजा। उस समय यह बताया गया था कि खोपड़ी बर्फीले पहाड़ों पर पाए जाने वाले बकरी जैसे किसी जानवर की है। वैसे बड़ी तादाद में लोगों ने इस रिपोर्ट पर विश्वास नहीं किया।
9. इसे सदियों से भारत में हिममानव, नेपाल में यति, अमेरिका में बिगफुट, ब्राजील में मपिंगुरे, आस्ट्रेलिया में योवेई, इंडोनेशिया में साजारंग गीगी जैसे नामों से पुकारा जाता है, और दूसरी तरफ उसके अस्तित्व पर ही प्रश्न चिह्न लगाया जाता है।
10. पहली बार चर्चा में - हिममानव या यति का सबसे पहला उल्लेख एक पर्वतारोही बी.एच. होजसन ने किया था। अपने हिमालय अभियान के अनुभवों में उन्होंने लिखा था कि सन् 1832 में उत्तरी नेपाल के पहाड़ी इलाके में उनके गाइड ने लंबे बालों वाले एक विशालकाय प्राणी को देखने की बात कही। होजसन ने साफ लिखा है कि उन्होंने कुछ नहीं देखा, लेकिन इस घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने अनजान प्राणी को यति नाम दिया।
11. सन् 1925 में पेशेवर फोटोग्राफर तथा रायल जिओग्राफिकल सोसायटी के सदस्य एम.ए. टोमबाजी ने लिखा कि उन्होंने जेमू ग्लेशियर (कंगचनजंघा पर्वत माला) के पास 15,000 फुट की ऊँचाई पर बालों से ढ़का एक विशालकाय प्राणी देखा है। टोमबाजी ने स्पष्ट रूप लिखा है कि उन्होंने उसे लगभग 200 मीटर दूरी से देखा। वे एक मिनट तक उसे निहारते रहे। उसकी शारीरिक बनावट पूरी तरह से इंसानी थी, लेकिन शरीर पर बहुत अधिक मात्रा में बाल थे। उसके तन पर कपड़े जैसी कोई चीज नहीं थी। दिसंबर 2007 में अमेरिका के एक टीवी शो प्रस्तुतकर्ता जोशुआ गेट्स और उनकी टीम ने भी यति के स्पष्ट पदचिह्न देखने का दावा किया। उन्होंने बताया कि प्रत्येक पदचिह्न की लंबाई 33 से.मी. थी।
12. दुनियाभर में खासकर भारत, चीन,
अफ्रीका, रूस और अमेरिका में ऐसी कई लंबी-लंबी
रहस्यमय गुफाएं और सुरंगें हैं, जो पाताल तक जाती हैं। इंसान अभी तक इन सुरंगों का रहस्य पता नहीं कर पाया है। भारतीय पौराणिक ग्रंथों के 7 तरह के
पातालों की चर्चा की जाती है और उनमें रहने वाले
विशालकाय लोगों के बारे में बताया गया है।
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जय श्री कृष्ण
Source- #Webdunia
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