Featured post

गुरू पूर्णिमा का महत्त्व

  किमत्र बहुनोक्तेन शास्त्रकोटि शतेन च । दुर्लभा चित्त विश्रान्तिः विना गुरुकृपां परम् ॥ गुरू पूर्णिमा पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण आभ...

Thursday 16 July 2015

महाभारत

∆महाभारत∆

•महाभारत भारतीय सभ्यता,संस्कृति,ज्ञान-विज्ञान,आदर्शों और जीवन-मूल्यों का प्रतिनिधि ग्रंथ है।
•महाभारत का अर्थ भरतवंशियों के युद्ध का आख्यान नहीं है अपितु यह एक सम्पूर्ण,समग्र साहित्य है।
•इस में कौरवों पांडवों की कथा के माध्यम से सम्पूर्ण भारतीय संस्कृति का सर्वाङ्ग चित्रण किया गया है।

【रचनाकाल】
° इसके रचनाकाल के बारे में निश्चितता पूर्वक कथन अत्यंत दुष्कर है।
° पाणिनि ने अष्टाध्यायी में महाभारत तथा वेदव्यास का बहुधा उल्लेख किया है, अतः यह अष्टाध्यायी से पुरातन सिद्ध होता है।
° सर्वप्रथम आश्वलायन गृह सूत्र में इसका उल्लेख प्राप्त है।
° बौधायन गृह सूत्र में भी महाभारत का उल्लेख प्राप्त है।
° रामायण में इसका तथा इसके पात्रों का उल्लेख नहीं है अतः ये इसके बाद की रचना सिद्ध होती है।
° मैकडोनाल्ड और भंडारकर इसका रचनाकाल रामायण (१६०० ई.पू.) तथा गृहसूत्रों(४००ई.पू.) के मध्य ५०० ई.पू. मानते हैं।
० डॉ. रधामुकुद मुखर्जी 200 ई.पू. मानते है।
० प्रो. विंटरनिट्ज़ कहते हैं +महाभारत का वर्तमान स्वरूप 400 ईस्वी से 400 ई.पू. के मध्य गढ़ा गया होगा, वस्तुतः सर्वप्रथम यह कब लिखा गया ये कहना कठिन है ।
० मैगस्थनीज ने इंडिका में चन्द्रगुप्त को कृष्ण की 138 वीं पीढ़ी में बताया है, चन्द्रगुप्त का समय 320 ई.पू. है, अगर प्रत्येक पीढी को 20 वर्षों की भी माने तो कृष्ण का समय 3100 ई.पू. प्राप्त होता है।
० महाभारत युद्ध के समय सभी ग्रह अश्विनी नक्षत्र पर थे, ज्योतिष के आधार पे ये समय 3100 ई.पू. था, अतः महाभारत की रचना 3100 ई.पू. हुई होगी।
० विनायक वैद्य ने "महाभारत मीमांसा" में महाभारत की दो रूप स्वीकारें है_
       1. व्यास कृत "भारत" 3100 ई.पू.
        2. सौति कृत महाभारत 2000 ई.पू.
० आचार्य बलदेव उपाध्याय के अनुसार महाभारत की रचना ई.पू. 400 से 200 वर्ष पहले अवश्य हुई होगी ।
० 445 ईस्वी【502वि.】 के शिलालेख में महाभारत का निर्देश इस प्रकार है-
"शतकसहस्तरायां संहितायां वेदव्यासेनोक्तम्"
इस से ऐसा प्रतीत होता है कि इसकी रचना इस लेख से 200 वर्ष पूर्व अवश्य हुई होगी।
° अश्वघोष ने "व्रजसूची"  में महाभारत तथा हरिवंश के श्लोक उद्धृत किये है।
° आश्वलायन गृहसूत्र में  "भारत" तथा "महाभारत" का अलग-2 उल्लेख है ।
० बौधायन गृहसूत्र में गीता के श्लोक संकलित है तथा विष्णुसहस्त्र नाम का उल्लेख है।
० इन साक्ष्यों के आधार पर इसका रचनाकाल वैदिक काल से लेकर 400 ई.पू. माना जा सकता है।

【महत्व】
• धर्म,अर्थ,काम तथा मोक्ष के विषय में जो भी ज्ञात है वो सब महाभारत में है ।
"धर्मे चार्थे च कामे च मोक्षे च भरतर्षभ।
यदिहास्ति तदन्यत्र यन्नेहास्ति न तत् क्वचित् ।।"
•महाभारत ने धर्म की उत्तम परिभाषा दी है-
"नमो धर्माय महते धर्मो धार्यते प्रजाः
यत स्याद् धारणा युक्तं स धर्मः इत्युदाह्यतः ।।"
• गीता समस्त शास्त्रों का संगम है-
"सर्वोउपनिषदो गावो दोग्धा गोपालनंदनः ।
पार्थो वत्स: सुधी: भोक्ता दुग्धं गीतामृतं महत् ।।"
• इसमें मत्स्य,राम,नल,शिवि तथा सावित्री आदि के उपाख्यान वर्णित हैं ।
• महाभारत अर्थ,धर्म तथा कामशास्त्र का समुच्चय है-
"अर्थशास्त्रमिदं प्रोक्तं धर्मशास्त्रमिदं महत् ।
कामशास्त्रमिदं प्रोक्तं व्यासेनामित बुद्धिना ।।"
• गोवर्धनाचार्य ने कहा है-
" व्यासं गिरां नियास सारं विश्वस्य भारतं वंदे ।
भूषणतयैव संज्ञाम् यदंगिताभारती भाति ।।"

#मकरध्वज

No comments:

Post a Comment