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Thursday 16 July 2015

भारतीय दर्शन -2

🇮🇳भारतीय दर्शन [भाग 2]

™वैशेषिक-
• इसको कणाद व औलूक्य दर्शन भी कहते है।
• इसके प्रवर्तक कणाद(कणभक्ष/कणभुक्) महर्षी है।
• भगवान शिव द्वारा महर्षी की तपस्या से प्रसन्न हो, उलूक रूप में द्रव्यों का उपदेश देने के कारण इसका दूसरा ना औलूक्य पड़ा।
• 'विशेष' नामक पदार्थ को मानने के कारण यह वैशेषिक कहलाया।
  ✅अन्त्यो नित्यद्रव्यवृत्तिविशेषः
✅विशेषास्तु यावन् नित्यद्रव्यवृत्तिवाद,अनंता एव
• इसमें सृष्टी का मूल कारण छः द्रव्यों को बताया गया है-
1⃣द्रव्य
2⃣गुण
3⃣कर्म
4⃣सामान्य
5⃣विशेष
6⃣समवाय
∆कुछ आचार्य अभाव नामक सप्तम पदार्थ भी मानते है।
• इन षड् पदार्थों के अवांतर भेद भी किये गए-
®द्रव्य- पृथ्वी,आप्,तेज,वायु,आकाश,दिक्,काल,मन और आत्मा।
®गुण के 24
®कर्म के 5
®सामान्य के 2
®विशेष के अगणित
और समवाय का एक ।
•अभाव के भी 4 भेद किये गए-
✅प्राग्भाव
✅प्रध्वंसाभाव
✅अतयन्ताभाव
✅अन्योन्याभाव

©परमाणुवाद इस दर्शन का विशेष उपहार है। प्रत्येक द्रव्य में परमाणु होता है। दो से द्वयणुक,तीन द्वयणुक से एक त्र्याणुक और इसी प्रक्रिया से सृष्टि बनी है।
✅ ये मन को भी अणु रूप मानते है।
•इसके प्रमुख आचार्य है- रावण,भरद्वाज,प्रशस्तपाद,उदयनाचार्य,वल्लभाचार्य,शंकर मिश्र,शिवादित्य मिश्र,विश्वनाथ पंचानन,अन्नम्भट् आदि।

™सांख्य
•इस द्वैतवादी दर्शन के प्रवर्तक कपिल माने जाते है।
•उपनिषदों,स्मृतियों,पुराणों में सांख्य को प्राचीन,अगाध,निर्मल व उदार भाव युक्त सुंदर महासागर कहा गया है।
•इस ज्ञान से प्राज्ञ परमगति को प्राप्त करते है, इसके सामान कोई दुसरा ज्ञान नहीं है-
✅सांख्यम् विशालं परमं पुराणं
महार्णवं विमलमुदारकान्तम्।।
(म.भा.शान्तिपर्व 301.114)
✅सांख्या राजन् महाप्रज्ञा गच्छन्ति परमां गतिम्।
ज्ञानेनानेन कौन्तेय तुल्यम् ज्ञानं न विद्यते।।
(म.भा.शान्तिपर्व 301.100)
•प्रकृति(जड़ व एक) और पुरुष(चेतन व अनेक) के सम्मेलन से सृष्टि मानी गयी है।
• इसमें क्रमशः-
✅25 मूल तत्व
✅5 अविद्या
✅28 अशक्ति
✅9 तुष्टि
✅8 सिद्धि
•संभवतः इसी संख्यात्मक निरूपण के कारण इसका नाम सांख्य पड़ा।
•सांख्य के मूल 25 तत्व है-
✔महत्
✔अहंकार
✔मन
✔पञ्च तन्मात्राएँ(रूप,रस,गंध,स्पर्श,शब्द)
✔पञ्च कर्मेन्द्रियाँ (वाक्,पाद,पाणि,पायु,उपस्थ)
✔पञ्च ज्ञानेन्द्रियां(चक्षु,घ्राण,रसना,त्वक्,श्रोत)
✔पंचभूत (पृथ्वी,जल,तेज,वायु,आकाश)
•इसके प्रमुख आचार्य है- आसुरि,पंचशिख,विंध्यवास व ईश्वरकृष्ण।
•ईश्वरकृष्ण की सांख्यकारिका इसका प्रमाणिक ग्रन्थ है।

क्रमशः.....

शुभ संध्या
जय सियाराम

#मकरध्वज

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