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Wednesday 8 July 2015

ऋग्वेद

"ऋच्यते स्तूयते अनेन इति ऋग्वेदः...।"
•चारों वेदों मे इसको शीर्ष स्थान प्राप्त है,यह विश्व का प्राचीनतम लिखित ग्रंथ माना जाता है। (ई.पू..3000-4000 वर्ष)
ऋक संहिता के दो क्रम प्राप्त होते है-
        1.अष्टक
              कुल 8 अध्यायों में विभक्त अष्टक क्रम में,प्रत्येक अष्टक में 8 अध्यायों के विभाजन से कुल 64 अध्याय तथा 2006 वर्ग पाये जाते हैं।
        2. मंडल
            यह क्रम सर्वाधिक वैज्ञानिक,सुव्यवस्थित और प्रामाणिक है, इसमें 10 मंडल,85 अनुवाक तथा 11 बालखिल्य सूक्तों समेत 1028 सूक्तों का संकलन है । एक सूक्त में कम से कम 10 तथा अधिकतम 85 मंत्र संकलित है ।

•शौनक ऋषि के अनुसार ऋग्वेद में 10580 मंत्र, 153826 शब्द और 432000 अक्षर है।
•मंत्रों के द्रष्टा ऋषि,ऋषिपुत्र,ऋत्विक य स्वायम्भू है जिनकी कुल संख्या 300 है।
•प्रमुख ऋषि गृत्समद,विश्वामित्र,वामदेव,अत्रि,भारद्वाज,वशिष्ठ आदि है ।
•जुहू,शचि,घोषा,लोमशा,विश्ववारा आदि विदुषियों की चर्चा भी इसमे प्राप्त होती है ।
• इसमे पुरुरवा-उर्वशी,सरमा-पाणि,यम-यमी और विश्वामित्र-नदी आदि सम्वाद सूक्त प्राप्त होते है।
•विभिन्न वैदिक ग्रन्थों में इसकी 27 शाखाओं का उल्लेख प्राप्त होता है, महाभाष्यकार ने भी 21 शाखाओं का निर्देश दिया है जिनमें से 5 को प्रमुख बताया गया है।
   √शाकल
   √वाष्कल
   √आश्वलायन-(क) कठ, (ख) कपिष्ठल
   √शांखायन
   √माण्डूक्य
•सम्प्रति केवल शाकल शाखा(संहिता) ही उपलब्ध है जो मद्र(पंजाब) की शाकल नगरी के शाकल्य नामक वेदविद द्वारा प्रदुर्भावित है।
•ऋग्वेद में प्रमुखतः 33 देवताओं का उल्लेख मिलता है-
"ये देवासो दिव्योकादशस्थ, पृथिव्यामध्येकादशस्थ।
अप्सु क्षितो महिनैकादशस्थ, ते देवासो यज्ञमिमं जुषध्वम।।"
•ऋग्वेद में 2 स्थानों पर 3339 देवताओं का उल्लेख भी प्राप्त होता है-
"त्रीणीशता त्रीसहस्त्र आष्यग्नि त्रिशच्छ देवा
  नव चास्पर्यन।।"
•देवताओं को त्रीस्थानिक बताया गया है-
   1.पृथ्वी- अग्नि,सोम,पृथ्वी,नदी,समुद्र आदि
   2.अंतरिक्ष- इन्द्र,वरुण,रुद्र,मरुत आदि
   3. द्यु- द्यु,सूर्य,पूषा,विष्णु,अश्विन,उषस,चंद्र आदि
•ऋग्वेद के मंत्र 3 कांडों में विभक्त है-
  1. कर्म- यज्ञ से संबंधित मंत्र
  2. उपासना- देवताओं की स्तुतियों,प्रार्थनाओं से संबंधित मंत्र
  3. ज्ञान- सृष्टि कर्म का विशद और रहस्यमय वर्णन
•नासदीय सूक्त में सृष्टि विज्ञान वर्णित है, यह दार्शनिक सूक्त है।
•पुरुष सूक्त में ईश्वर और उनकी महिमा का वर्णन है।
गौ को ऋग्वेद में "अहन्या" कहा गया है।
•ऋग्वेद का प्रथम सूक्त- अग्नि
•अंतिम सूक्त- संज्ञान
•ऋत्विक- होता
•उपवेद- आयुर्वेद
•आयुर्वेद के प्रवर्तक- धन्वन्तरि
•ब्राह्मण- ऐतरेय,शांखायन
•उपनिषद- ऐतरेय, कौषीतकि,वाष्कल
•आरण्यक- ऐतरेय, शांखायन
•शिक्षा/प्रातिशाख्य- पाणिनीय,ऋक(पार्षद)
•श्रोत सूत्र- आश्वलायन,कौषीतकि
•गृह सूत्र- आश्वलायन,कौषीतकि,शाम्बव्य
•धर्म सूत्र- वशिष्ठ
• मैक्समूलर ने ऋग्वेद के लिए कहा है-
"यावत्स्थायन्ति गिरय: सरितश्च महीतले।
तावद् ऋवेदमहिमा लोकेषु प्रचरिष्यति।।"

क्रमशः
#मकरध्वज

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