चतुर्मुखमुखाम्भोज वनहंसवधूर्मम।
मानसे रमतां नित्यं सर्वशुक्ला सरस्वती।।
(दंडी)
कई दिनों से मन कह रहा था कि " भाई ब्लॉग लिख,ब्लॉग लिख" और आज फाइनली मैंने अपनी 24वीं वर्षगांठ पर लिखना शुरू कर दिया..
आशा करता हूँ आप सभी विद्वानों और विद्यार्थियों के साथ संस्कृत अनुरागियों और सामाजिकों को यह ब्लॉग पसंद आएगा...
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